geet vrindavan
याद किस-किसकी उस क्षण आयी!
धरे व्याध का रूप काल ने जब पग छुये, कन्हाई!
आयीं याद बाल-लीलायें!
यमुना-तट, वंशीवट, गायें!
दधि-घट लिए गोपबालायें
क्या फिर पड़ीं दिखायी!
ध्यान महाभारत का आया!
गीता को मन में दुहराया!
क्या अभिमन्यु, कर्ण की छाया
फिर नयनों में छायी!
बढ़े सखा-हित रथ निकालकर!
माँ लायी नवनीत थाल भर!
पा राधा का परस भाल पर
समरसता टिक पायी!
याद किस-किसकी उस क्षण आयी!
धरे व्याध का रूप काल ने जब पग छुये, कन्हाई!