nao sindhu mein chhodi
कौन आता है सपना बन के
निद्रा के पथ से स्मृतियों के नव वसन पहन के
रूप कि ज्यों मोती में पानी
नयनों में पीड़ा अनजानी
कहता है अनकही कहानी
द्वार खोल कर मन के
तार छेड़ देता वीणा के
राग न जाने कहाँ कहाँ के
पा न सका जिनको पा-पा के
भाव लिये उस क्षण के
कौन आता है सपना बन के
निद्रा के पथ से स्मृतियों के नव वसन पहन के