nao sindhu mein chhodi
कौन पहले अपना रुख मोड़े?
खड़े सिंधु के तट पर हम-तुम युग हथेलियाँ जोड़े
जो अनंत की लहर अचानक
ले आयी है हमें यहाँ तक
जाने कब वह होकर तिर्यक्
बालू का घर फोड़े!
जब न हमीं कल साथ रहेंगे
कुछ न सुनेंगे, कुछ न कहेंगे
क्या फिर, यदि पद-चिह्न बहेंगे
रेती पर जो छोड़े!
कौन पहले अपना रुख मोड़े ?
खड़े सिंधु के तट पर हम-तुम युग हथेलियाँ जोड़े