bhakti ganga
कैसे मुझे सँभालोगे!
मेरी आग बुझाने में तुम हाथ जला लोगे
क्या फुहार सावन की हलकी
प्यास बुझा सकती मरुथल की
ज्वाला यह बूँदों से जल की
और उछालोगे
शिशु जो सभी खेल है त्यागे
तुमसे बस तुमको ही माँगे
कैसे रागभोग रख आगे
उसको टालोगे!
क्या मैं करूँ खिलौने लेकर
टूट रहे हैं जो पल-पल पर!
वह वंशी दो, सुन जिसके स्वर
तुम अपना लोगे
कैसे मुझे सँभालोगे!
मेरी आग बुझाने में तुम हाथ जला लोगे