sab kuchh krishnarpanam
सहज हो प्रभु साधना हमारी
सहज रहे जीवन और सहज हो मरण
सहज सदा चिंतन हो, सहज आचरण
सहज-सहज कर लें हम वरन वे चरण
शरण-क्लेशहारी
आतप-हिम-वात सभी हँस-हँसकर सहें
जैसे तू रखता हो वैसे ही रहें
तेरी ही सुनें और तुझसे ही कहें
भार हो न भारी
सहज हो प्रभु साधना हमारी