ek chandrabimb thahra huwa
मेरी बाँसुरी से अब जो स्वर फूटते हैं
उनमें एक तान तुम्हारी भी मिली रहती है
और तुम भी इसे स्वीकार करो या नहीं,
तुम्हारे जूड़े में जो फूल गुँथा है
उसकी एक पंखड़ी
मेरे लिए भी खिली रहती है।
मेरी बाँसुरी से अब जो स्वर फूटते हैं
उनमें एक तान तुम्हारी भी मिली रहती है
और तुम भी इसे स्वीकार करो या नहीं,
तुम्हारे जूड़े में जो फूल गुँथा है
उसकी एक पंखड़ी
मेरे लिए भी खिली रहती है।