diya jag ko tujhse jo paya
मंगलकामना
ये पच्चीस वर्ष यौवन के
जैसे बीते हँसते-गाते, वैसे फिर आयें नव बन के
इनमें ही तो हाथ मिलाये
तुम जीवन में बढ़ते आये
इनमें ही तो सब सुख पाये
नित नव होते प्रथम मिलन के
ये यदि रजत, स्वर्ण है आगे
पल न कभी दुर्बलता जागे
मिले प्रेम प्रभु का बेमाँगे
शुभ संकल्प सदा हों मन के
जिसमें पल-पल सुमन-हास हो
मंगलमय वह प्रेमपाश हो
नित-नव आशा, नव विकास हो
भूलें नहीं लक्ष्य जीवन के
ये पच्चीस वर्ष यौवन के
जैसे बीते हँसते-गाते, वैसे फिर आयें नव बन के
30 नवंबर 01
(अपने ज्येष्ठ पुत्र और पुत्रवधू डॉ. आनंदवर्धन और डॉ. शोभा के
विवाह की रजत-जयंती पर)