bhakti ganga
सभी फल तोड़-तोड़ ले जाये
कौन चोर आता उपवन में नित नव रूप सजाये?
पके, अधपके, उसे न अंतर
ले जाता है झोली भर-भर
वह सब नियमों से है ऊपर
करे, वही जो भाये
कौन उसे आने से रोके
सभी देखते बेबस होके
यही नहीं, दे-देकर झोंके
तरु भी कभी गिराये
इसीलिए क्या, उपवनवाले!
तू ये फल रच-रचकर पाले!
जब वह उनपर घेरा डाले
क्यों तू बचा न पाये
सभी फल तोड़-तोड़ ले जायें
कौन चोर आता उपवन में नित नव रूप सजाये?