ravindranath:Hindi ke darpan me
भक्तिभाजन
रथयात्रा, लोकारण्य, महा धूमधाम —
भक्तेरा लूटाये पथे करिछे प्रणाम
पथ भावे, ‘आमि देव’, रथ भावे, ‘आमि’
मूर्ति भावे , ‘आमि देव’ — हासे अन्तर्यामी
भक्तिभाजन
रथयात्रा में जुड़ी बड़ी भीड़ भक्तजन की
पथ में लोटते थे लोग सुध नहीं थी तन की
ध्वजा कहे, ‘देव मैं हूँ, रहूँ सब से ऊँचे पर’
रथ कहे, ‘देव मैं हूँ, सम्मुख सब रहे पसर’
मूर्ति कहे, ‘देव मैं हूँ, पूजते हैं सब मुझे’
हँसते अंतर्यामी मन-ही-मन, सुन-सुनकर