ravindranath:Hindi ke darpan me

शान्ति-पारावार

समूखे शान्तिपारावार
भासाऊ तरनी हे कर्णधार ।

तूमि होबे चिरसाथी,
लउ लउ हे क्रोड़ पाति
असीमेर पथे ज्वलिबे ज्योति ध्रुवतारकार
मुक्तिदाता, तोमार क्षमा तोमार दया
होबे चिरपाथेय चिरयात्रार

होबे एनो मर्त्येर बंधन क्षय
विराट् विश्व बाहू मेलि लय,
पाय अंतरे निर्भय परिचय
महाअजानार ।

 

शान्ति-पारावार

सम्मुख है शान्ति-पारावार
डुबा दो तरणि, हे कर्णधार !
तुम्ही तो हो, प्रभु! मेरे चिर-सहचर
ले चलो मुझे अपनी बाँहों में भर
दीप्त करो क्षमा-दया-संबल देकर
असीम की यात्रा का अन्धकार

हो जिससे मर्त्य के बंधनों का क्षय
मिलूँ विराट विश्व से बन प्रेम की लय
अज्ञात की वह प्रतीति दो, करुणामय !
निर्भय तम गहन करूँ पार !
सम्मुख है शान्ति-पारावार
डुबा दो तरणि, हे कर्णधार !