pankhuriyan gulab ki
ख़यालों में उनके समाये हैं हम
भले ही नज़र में पराये हैं हम
कभी इसको मुँह तक भरें तो सही
ये प्याला बहुत बार लाये हैं हम
हुआ क्या जो सब उठके जाने लगे
अभी बात भी कह न पाये हैं हम !
जिन्हें देखकर था नशा चढ़ गया
वही कह रहे, पीके आये हैं हम
मसलती हो पाँवों से दुनिया, गुलाब !
मगर अब हवाओं में छाये हैं हम