pankhuriyan gulab ki
ज़िंदगी फिर कोई पाते तो और क्या करते !
आपसे दिल न लगाते तो और क्या करते !
आपके प्यार की पहचान माँगते थे लोग
सर हम अपना न कटाते तो और क्या करते !
दिल जो टूटा तो हरेक शहर में ख़ुशबू फैली
फूल भी हम जो खिलाते तो और क्या करते !
उनकी नज़रों से छिपाकर उन्हींसे मिलना था
हम ग़ज़ल बनके न आते तो और क्या करते !
पंखड़ी दिल की कोई चूमने आया था, गुलाब !
आप नज़रें न झुकाते तो और क्या करते !