pankhuriyan gulab ki
यों उड़ा है नशा जवानी का
जैसे बालू पे हर्फ़ पानी का
ख़ून से अपने लिख गये हैं जवाब
हम उन आँखों की बेज़बानी का
रात आया था लटें खोले कोई
फूल महका था रातरानी का
कहीं ऐसा न हो, सुनें जब आप
कहनेवाला हो चुप कहानी का !
रंग देखें गुलाब के भी आज
जिनको दावा है बाग़वानी का