aayu banee prastavana
प्रतिदिन, प्रतिपल, साथ तुम्हारे
मेरा जीवन, हाथ तुम्हारे
मन के स्वामी! अंतर्यामी!, तुम रख लो पत, कौन उतारे
तुमसे जग को मैंने जाना
तुमसे पाया जो कुछ पाना
मेरा हँसना, रोना, गाना
सब में एक तुम्हीं-तुम प्यारे!
साँस साँस में बजती पायल
जो कुछ सुन्दर, जो कुछ निर्मल
ज्योति तुम्हारी से ही झलमल
दिन में फूल, रात मे तारे
तुम उदार, करुणा के सागर
सब गुण आगर, हे नट नागर !
भर दो मन की रीती गागर
चरण-शरण मैं, नाथ! तुम्हारे
प्रतिदिन, प्रतिपल, साथ तुम्हारे
मेरा जीवन, हाथ तुम्हारे
1957