ahalya

आशा-आशंकाकुल कंपित हिम-लतिका-सी
प्रणयी-समीप क्षण-कातर प्रोषित-पतिका-सी
भय, ठिठक, दीप जलते क्षण झुकी वर्तिका-सी
अनदेखी, अनजानी, अनसुनी, अगतिका-सी
छूने अमूर्त छाया को

आयी श्रावन-घनमाला-सी युवती अधीर
खो जाने को प्रिय-स्नेहाकुल भुजबंध चीर
चातकी तृषित ज्यों देख उमड़ता स्वाति-नीर
चंचल तरंग-माला ज्यों पाकर तृषित तीर
अर्पित करती काया को