bhakti ganga
तूने कितना नाच नचाया!
मन रे! इस जीवन में तूने क्या-क्या नहीं दिखाया!
लेकर कहाँ कहाँ का रोड़ा
भानुमती-सा कुनबा जोड़ा
तेरे स्वप्नमेध का घोड़ा
कोई रोक न पाया
कभी व्योम पर, कभी अतल में
सुरों कभी असुरों के दल में
तेरी रास धरे मैं पल में
कहाँ नहीं फिर आया!
पर क्या जगविजयी कहलाऊँ
यदि तुझको ही जीत न पाऊँ
तीनों लोक छान कर आऊँ
लाँघ न पाऊँ छाया
तूने कितना नाच नचाया!
मन रे! इस जीवन में तूने क्या-क्या नहीं दिखाया!