bhakti ganga
तेरी बिगड़ी कौन बनाये!
देव सभी फिरते हैं अपने बल में ही भरमाये
रवि, यम, वरुण कर रहे हैं सब बस नियमों का पालन
इनके बस में कब है तेरे पापों का प्रक्षालन!
संवेदना-शून्य इनको क्या, रहे कि तू मिट जाये
उसे पुकार, सृष्टि का पालक, जो इनका है स्वामी
दयासिन्धु, चेतन का चेतन, सब का अन्तर्यामी
वही सुनेगा तेरे अंतरतम की व्यथा-कथायें
उसकी तनिक कृपा से ही कुल संकट कट जायेगा
यह नैराश्य, शोक, भय, भ्रम-तम पल में हट जायेगा
पश्चाताप-द्रवित प्राणों का दुख वह देख न पाये
तेरी बिगड़ी कौन बनाये!
देव सभी फिरते हैं अपने बल में ही भरमाये