bhakti ganga
न जाने क्या होगा उस ओर
खींचे जिधर लिये जाती है मुझे साँस की डोर
कैसा यह रहस्यमय पथ है
चलता जिस पर जीवन-रथ है?
कैसी यह चिर-कथा अकथ है
जिसका ओर न छोर?
तिमिर भूमि है, तिमिर व्योम है
तिमिर सूर्य है, तिमिर सोम है
कम्पित करता रोम-रोम है
सम्मुख यह तम घोर
क्या पाना, खोना है इसमें!
क्या हँसना, रोना है इसमें!
क्या कुछ भी होना है इसमें
करके इतना जोर!
न जाने क्या होगा उस ओर
खींचे जिधर लिये जाती है मुझे साँस की डोर