bhakti ganga
नहीं कभी भागूँगा जग से, सब कुछ सहन करूँगा
पथ पर जो आता जायेगा, हँस-हँस ग्रहण करूँगा
तेरे कृपा-वारि से सींचित काँटे हो या फूल
जय की वाणी बन जायेगी जीवन की हर भूल
तेरा आशीर्वाद समझकर दुख भी वहन करूँगा
कष्ट-शोक में भी अधरों का हास नहीं छूटेगा
सब छूटेगा पर मन का विश्वास नहीं छूटेगा
ज्यों-ज्यों तिमिर बढ़ेगा आस्था की लौ गहन करूँगा
नहीं कभी भागूँगा जग से, सब कुछ सहन करूँगा
पथ पर जो आता जायेगा, हँस-हँस ग्रहण करूँगा