bhakti ganga

प्यार यदि है तो आगे आओ
मैं तो आगे तभी बढूँगा जब तुम हाथ बढ़ाओ

माना लहरों में से प्रतिक्षण
मिलता रहता मुझे निमंत्रण
किन्तु बनी रहती है उलझन

  भँवरों में न भुलाओ

यद्यपि मन तिरने का लोभी
पर न छोड़ पाता तट को भी
मिलने को व्याकुल हूँ तो भी

कहता है ‘मत जाओ’

प्यार यदि है तो आगे आओ
मैं तो आगे तभी बढूँगा जब तुम हाथ बढ़ाओ