bhakti ganga

मुक्ति नहीं, भक्ति चाहिए
तुझमें अनुरक्ति चाहिए

लक्ष्य दूर-दूर ही रहे
भाग्य भले क्रूर ही रहे
तन थककर चूर ही रहे

अंतर में शक्ति चाहिए

बंध से विमुक्ति तो सही
किन्तु मैं रहूँ जहाँ, वही
प्रेम-सुख-समाज हो यही

रागमय विरक्ति चाहिए

मुक्ति नहीं, भक्ति चाहिए
तुझमें अनुरक्ति चाहिए