bhakti ganga

मेरी छाया मुझसे आगे
ज्यों ही एक हाथ बढ़ता मैं चार हाथ यह भागे

इसे लाँघ जाने की छलना
व्यर्थ चाँद के लिए मचलना
इसको तो यों ही है चलना

मुझे पीठ पर टाँगे

यह ठगिनी ओझल होगी जब
मिट जायेगी भागदौड़ सब
जो पाना है, पा लूँगा तब

मैं तुझसे बेमाँगे

मेरी छाया मुझसे आगे
ज्यों ही एक हाथ बढ़ता मैं चार हाथ यह भागे