bhakti ganga

यदि मैं तुम्हें भूल भी जाऊँ लहरों की हलचल में
तो भी छोड़ न देना मुझको मेरे नाथ! अतल में

धीरे-धीरे हाथ बढ़ा कर
मुझे खींच लेना तुम बाहर
मिट जाये मिट जाने का डर

जल की उथल-पुथल में

लेना-देना, पाना-खोना
रहे न फिर यह रोना-धोना
सहज-सहज हो, जो है होना

उस अनजाने पल में

यदि मैं तुम्हें भूल भी जाऊँ लहरों की हलचल में
तो भी छोड़ न देना मुझको मेरे नाथ! अतल में