bhakti ganga

सब कुछ स्वीकार
घोर गहन कानन यह तिमिर दुर्निवार

हर लहर अथाह हुई
चाह आत्मदाह हुई
राह भी कुराह हुई

      बंद मिले द्वार

लक्ष्य दूर-दूर हुआ
गर्व चूर-चूर हुआ
भाग्य बहुत क्रूर हुआ

फिर भी क्या हार!

सारे भवताप जले
करुणा की छाँह तले
देख तुम्हें साँझ ढले

    झुरमुट के पार

सब कुछ स्वीकार
घोर गहन कानन यह तिमिर दुर्निवार