bhakti ganga

कुछ भी बदले में नहीं लेना है
देना है, देना है, देना है

सूर्य नित प्रकाश दिये जाता है
चाँद सुधा-वृष्टि किये जाता है
अग-जग को प्राण-दान करने को
कोई हवाओं को लिये जाता है

मुझको भी मंत्र यही सेना है

धरती का प्यार नहीं चुकता है
नित नव देने की उत्सुकता है
रीता नहीं होता कोष जीवन का
दाता का हाथ नहीं रुकता है

देता सतत काल को चबेना है

कुछ भी बदले में नहीं लेना है
देना है, देना है, देना है