diya jag ko tujhse jo paya
पत्नी से —
मुझको भली भाँति लो जान
अगली बार मिलें जब हम-तुम, लेना झट पहचान
जिसके साथ आयु यह भोगी
कैसे उसको भुला सकोगी !
कुछ तो नयनों से कह दोगी
मुख पर ला मुस्कान
जैसे पूर्व-जन्म-स्मृति आकर
यहाँ प्रीति वन गयी परस्पर
वैसे ही आगे भी, प्रियवर !
क्या न जुड़ेंगे प्राण !
क्या, यदि देह न यह मिल पाये !
मन तो आत्मा के सँग जाये
हमने मन के राग मिलाये
प्रेम जहाँ अम्लान
मुझको भलीं भाँति लो जान
अगली बार मिलें जब हम-तुम, लेना झट पहचान
अगस्त 02