diya jag ko tujhse jo paya

हृदय में जब है तेरा वास
क्यों मैं डरूँ निरंतर, प्रभु! जब तू है मेरे पास

कर्मों का गट्ठर सर पर ले
क्यों यह मन चिंता से भर ले!
तेरी इच्छा हो सो कर ले

मैं तो तेरा दास

तूने मुक्ति-मंत्र जो गाये
मैंने बार-बार दुहराये
पाँव न, पर, उनपर चल पाये

बँधे मोह के पाश

शिशु को पा रज में लिपटाया
माँ ने क्या उर से न लगाया!
तू ही तोड़े तेरी माया

मेरे व्यर्थ प्रयास

हृदय में जब है तेरा वास
क्यों मैं डरूँ निरंतर, प्रभु! जब तू है मेरे पास