diya jag ko tujhse jo paya

हे जगकर्ता! तुझे प्रणाम
हे भवभर्ता! तुझे प्रणाम
गोरस नये पात्र में भरता
हे संहर्ता! तुझे प्रणाम

जब जीवन के तममय पथ पर
मन विलुप्ति के भय से डरता
तेरी सुधि कर, धीरज धरता
हे दुःखहर्ता! तुझे प्रणाम

तुझसे सब कुछ पाकर भी मैं
क्षणिक सिद्धियों पर था मरता
हे सर्वज्ञ पिता! अब करता
डरता-डरता तुझे प्रणाम