ek chandrabimb thahra huwa

दुहराने से नहीं ऊबना है,
मेरे हृदय के प्रत्येक स्पंदन से
एक नयी कविता जन्म लेती है,
शब्दों का मोह छोड़कर
तुम्हें तो उसकी गहराइयों में डूबना है।