ek chandrabimb thahra huwa

फूल अपने रंग-रूप पर कितना भी गुमान करे
उसके मन में सीमाओं का बोध अवश्य है,
वह जानता है
कि सुगंध बनकर ही वह तुम्हें पा सकता है
यही उसके खिलते जाने का रहस्य है