ek chandrabimb thahra huwa

कितना अच्छा होता
यदि उम्र का यह रास्ता
सदा आगे-ही-आगे नहीं ले जाता!
इस पर चलनेवाला
कभी-कभी पीछे की ओर भी लौट पाता!