geet ratnavali

कैसे राम-चरित हम गाते!
होते तुलसीदास न तो कुल शास्त्र धरे रह जाते

राम-कथा क़विगुरु ने गायी
पर थी अपनी कथा छिपायी
जो जनश्रुति से चलती आयी

अब हम उसे सुनाते

राजापुर में जनमे, खेले
शैशव में दुख-संकट झेलें
प्रेमी किंतु बने अलबेले

तरुणाई के आते

ब्याह हुआ, पत्नी घर आयी
ज्यों तृषार्त ने सुरसरि पायी
पर टिकता यह सुख यदि, भाई!

क्या हम उनको पाते!

कैसे राम-चरित हम गाते!
होते तुलसीदास न तो कुल शास्त्र धरे रह जाते