geet ratnavali

आपने हरि का जस तो गाया,
पर उसकी भी सुधि ली जिसने वह शुभ मार्ग दिखाया!

भक्ति-काव्य तो बहुत रचे, पर
लिखे प्रिया पर भी दो अक्षर!
सोचा भी, कैसे रो-रो कर

उसने जनम गँवाया!

देख अकाम राम-छवि सम्मुख
दिया आपने त्याग भोग-सुख
पर पत्नी ने झेल महादुख

बदले में क्‍या पाया!

प्रभु के सँग निज को भी सजकर
देव! आप तो गूँजे घर-घर
पर रत्ना की सिसकी का स्वर

जग को कभी सुनाया!

आपने हरि का जस तो गाया,
पर उसकी भी सुधि ली जिसने वह शुभ मार्ग दिखाया!