ghazal ganga aur uski lahren

यों तो ख़ुशी के दौर भी होते हैं कम नहीं
ऐसा भी कोई पर है दिल में जिसके ग़म नहीं !

हम हैं कि जी रहे हैं हरेक झूठ को सच मान
वर्ना जो सच कहें, तेरे वादों में दम नहीं

कुछ तो ज़रूर है तेरी बेगानगी का राज़
बेबस हो तू भले ही मगर बेरहम नहीं

यह साज़ बेसुरा भी ग़नीमत है, दोस्तो !
कल लाख पुकारे कोई, बोलेंगे हम नहीं

कितना भी प्यार से कोई देखे गुलाब को
अब अपनी रंगों-बू का है उसको भरम नहीं