kagaz ki naao
चल, खुसरो! घर आपने
विहग उडे थे प्रात जो
प्रमुदित नभ-पथ नापने
कँपा दिया वन साँझ को
उनके करुण विलाप ने
देख डूबते भानु को
लगी कमलिनी काँपने
तू भी लिखना बंद कर
चल, खुसरो ! घर आपने
अक्टूबर 08
उर्दू एवं पर्सियन के सुप्रसिद्ध शायर अमीर खुसरो ने अपने गुरु कौ मृत्यु पर
निम्नलिखित दोहा पढ़कर प्राण त्याग दिये थे-गोरी सोयी सेज पर मुख पर डाले केश,
चल, खुसरो ! घर आपने, रैन भई चहूँ देश