kumkum ke chhinte
बस तुम मुझे देखती रहना।
मैं काँटों से भरे मार्ग पर सहर्ष चलता रहूँगा,
उँगलियाँ क्षत-विक्षत होंगी,
रुधिर बहेगा
फिर भी ओंठों से कुछ नहीं कहूँगा।
बस तुम मुझे देखती रहना।
धूल पर कुछ रक्त-कण रह जायें तो रह जायें,
अनसुनी वाणी में
अनकहा कुछ कह जायें तो कह जायें,
पर मैं चुपचाप ही सारी पीड़ा सहूँगा।
बस तुम मुझे देखती रहना।