nao sindhu mein chhodi
तार न जब डोलेगा
तब तू मन की बात कहाँ, किससे, कैसे बोलेगा?
गायेगा तब तू किस सुर में?
धड़कन होगी कैसी उर में ?
तेरे लिये विकल उस पुर में
द्वार कौन खोलेगा?
कैसी होगी सृष्टि वहाँ की?
देखेगा पिछली भी झाँकी?
तब तू रूप रहित, एकाकी
किसके सँग हो लेगा?
कुछ भी शेष न रह पायेगा?
यह जग स्मृति से खो जायेगा?
या जब तुझे याद आयेगा
हँस देगा, रो लेगा?
तार न जब डोलेगा
तब तू मन की बात कहाँ, किससे, कैसे बोलेगा?