pankhuriyan gulab ki

अगर आप दिल से हमारे न होते
यों नज़रों से इतने इशारे न होते

नहीं प्यार होता जो उनको किसीसे
तो आँचल में ये चाँद-तारे न होते

बहुत शोर था उनकी दरियादिली का
हमें देखकर यों किनारे न होते !

कहाँ से ग़ज़ल प्यार की यह उतरती
जो हम उन निगाहों के मारे न होते !

गुलाब ! आप खिलते जो राहों में उनकी
तो ऐसे कभी बेसहारे न होते