pankhuriyan gulab ki
आपके दिल में हमारी भी चाह है कि नहीं !
कहीं आगे भी सितारों के राह है कि नहीं !
यह तो किस मुँह से कहें – ‘आप हमारे हो जायँ’
पर हमें अपना बनाने की चाह है कि नहीं !
आपका दर न सही, राह का पत्थर ही सही
हमको हर हाल में होना तबाह है कि नहीं !
यह तो क़िस्मत न हुई, खुल के सामना हो कभी
पर इधर आपकी तिरछी निगाह है कि नहीं !
झुकके आँखों में किसीकी ये पूछते हैं गुलाब —
‘आपके दिल में पहुँचने की राह है कि नहीं !’