pankhuriyan gulab ki

उनकी आवाज़ बुलाती है हर क़दम के साथ
ज़िंदगी दौड़ती जाती है हर क़दम के साथ

कोई यह भी तो कहो, इसका नशा कैसा है
यह जो प्याली बढ़ी आती है हर क़दम के साथ

कारवाँ यों तो हज़ारों ही जा रहे हर रोज़
दूर मंज़िल हुई जाती है हर क़दम के साथ

ज़िंदगी हमको पिलाती है ज़हर के प्याले
और पायल भी बजाती है हर क़दम के साथ

आप रंगों से भरी डाल पे फूलें न, गुलाब !
सर भी नागिन ये उठाती है हर क़दम के साथ