pankhuriyan gulab ki
एक अनजान-से घेरे में बंद हैं हम लोग
ख़ुद अपने मन के अँधेरे में बंद हैं हम लोग
उदास साँझ, हवा सर्द है, बादल हैं घिरे
और परदेश के डेरे में बंद हैं हम लोग
उन्हें भी आपकी ख़ुशबू ने छू लिया है, गुलाब !
जो कह रहे थे कि घेरे में बंद हैं हम लोग