pankhuriyan gulab ki

एक एहसास की रंगत के सिवा कुछ भी नहीं
ज़िंदगी ग़म की हक़ीक़त के सिवा कुछ भी नहीं

मुस्कुराने को अदा प्यार की समझे हैं हम
यह मगर आपकी आदत के सिवा कुछ भी नहीं

उनकी हर बात पे जाती है यहाँ जान अपनी
लोग कहते हैं– ‘नज़ाक़त के सिवा कुछ भी नहीं’

क्या नहीं हाथ में उनके है, पर हमारे लिये
दिल में हलकी-सी हरारत के सिवा कुछ भी नहीं

जिसको कहते हैं, गुलाब ! आपका दीवानापन
एक रंगीन तबीयत के सिवा कुछ भी नहीं