pankhuriyan gulab ki

अब क्यों भला किसीको हमारी तलाश हो !
गागर के लिये क्यों कोई पनघट उदास हो !

कहते हैं जिसको प्यार है, मजबूरियों का नाम
क्यों हो नज़र से दूर अगर दिल के पास हो !

क्योंकर रहे बहार के जाने का ग़म हमें
कोयल की तड़प में भी अगर यह मिठास हो !

वादों को उनके ख़ूब समझते हैं हम, मगर
क्या कीजिये जो दिल को तड़पने की प्यास हो !

भाती नहीं है प्यार की ख़ुशबू जिसे, गुलाब !
शायद कभी उसे भी तुम्हारी तलाश हो !