pankhuriyan gulab ki
ज़िंदगी मुझको कहाँ आज लिये जाती है !
दूर तक अब कोई आवाज़ नहीं जाती है
हाथ में उनके ही नाड़ी है, देखिए क्या हो !
जिनके छूने से ही धड़कन मेरी बढ़ जाती है
कोई मिल जाता बहाना गले लगाने का
यों तो ख़ुशबू तेरी हर साँस में लहराती है
भूल कर नाम न ले कोई वफ़ादारी का
अब तबीयत मेरी इस नाम से घबराती है
लाख खिलते हों गुलाब आपकी आँखों में, मगर
अब निगाहों में वो ख़ुशबू नहीं मिल पाती है