pankhuriyan gulab ki
जो नज़र प्यार की कह गयी है, मुँह पे लाने की बातें नहीं हैं
हम सुना तो रहे बेसुधी में, वे सुनाने की बातें नहीं हैं
हमने माना कि तुम हो हमारे, याद करते रहोगे हमेशा
दूर जाने की बातें हैं पर ये, पास आने की बातें नहीं हैं
ज़िंदगी खींच कर हमको लायी किन सुलगती हुई बस्तियों में
होंठ हँस भी रहे हों मगर अब मुस्कुराने की बातें नहीं हैं
यों तो हरदम नयी है ये महफ़िल, हर घड़ी सुर बदलते हैं इसमें
पर जो हम कह गये आँसुओं से, भूल जाने की बातें नहीं हैं
जो, गुलाब! आपने गीत गाये, उनमें धड़कन तो है प्यार की ही
पर वे मज़बूरियाँ हैं दिलों की, गुनगुनाने की बातें नहीं हैं