pankhuriyan gulab ki

दर्द दिल थामके सहते हैं, हम तो चुप ही हैं
लोग क्या-क्या नहीं कहते हैं, हम तो चुप ही हैं

आप क्यों दिल के तड़पने का बुरा मान गये !
आपसे कुछ नहीं कहते हैं, हम तो चुप ही हैं

सुर्ख बादल जो उमड़ आये थे आँखों में कभी
बनके आँसू वही बहते हैं, हम तो चुप ही हैं

हम ख़तावार नहीं दिल के बहक जाने के
ये कगार आप ही ढहते हैं, हम तो चुप ही हैं

उनकी आँखों में खिले हैं कुछ इधर ऐसे गुलाब
ख़ुद वही छेड़ते रहते हैं, हम तो चुप ही हैं