pankhuriyan gulab ki

दिल की तड़प नीलाम हुई है
अब ये कहानी आम हुई है

आईना ख़ुद ही टूट गया था
मुफ्त नज़र बदनाम हुई है

आपने घूँघट भी न उठाया
और ये रात तमाम हुई है

प्यार वहाँ तक जा पहुँचा है
अक्ल जहाँ नाकाम हुई है

अब तो, गुलाब ! उन आँखों में ही
तुमको सुबह से शाम हुई है