pankhuriyan gulab ki

नज़र तो उनकी हमें देखके शरमा ही गयी
झलक भी प्यार की पलकों से छनके आ ही गयी

क़सूर कुछ तेरे हाथों का भी तो है, फ़नकार !
करें भी क्या जो ये तस्वीर दिल को भा ही गयी !

चले जो हम तो चली साथ-साथ क़िस्मत भी
हरेक मुक़ाम पे पहले ये बेवफ़ा ही गयी

सँभाली होश की पतवार बहुत हमने, मगर
पहुँचके नाव किनारे पे डगमगा ही गयी

गली में उनकी हज़ारों महक उठे हैं गुलाब
हमारे दिल की तबाही भी रंग ला ही गयी