pankhuriyan gulab ki

नशे में प्यार के लिखते रहे हैं कविता हम
पता नहीं कि उन्हें कह गये हैं क्या-क्या हम

उन्हींसे हो गयी रंगीन ज़िंदगी भी, मगर
कभी जो प्यार में खाया किये हैं धोखा हम

बहुत है शोर ज़माने में आपका, लेकिन
कभी तो देख लें सूरत उठाके परदा हम

‘जगह कहीं पे हमारी भी दिल में है कि नहीं?’
सवाल आज उन्हींसे करेंगे सीधा हम

चली ये कैसी हवायें, उदास है हर फूल !
नहीं गुलाब में पाते हैं रंग पहला हम !