pankhuriyan gulab ki

आज हो चाहे दूर भी जाना, मेरे साथी, मेरे मीत !
लौटके फिर इस राह से आना, मेरे साथी, मेरे मीत !

कठपुतली का खेल दिखाने कोई हमें लाया था यहाँ
प्यार तो था बस एक बहाना, मेरे साथी, मेरे मीत !

झाँझर नैया, डाँड़ें टूटीं, नागिन लहरें, तेज़ हवा
टिक न सकेगा पाल पुराना, मेरे साथी, मेरे मीत !

यों तो हरेक झोंके से हवा के, प्यार की ख़ुशबू आती थी
दिल ने तुम्हीं को एक था माना, मेरे साथी, मेरे मीत !

मिल भी गये फिर आते-जाते, मिलके निगाहें फेर भी लो
गंध गुलाब की भूल न जाना, मेरे साथी, मेरे मीत !